Delhi-NCR में खराब हवा को लेकर NTPC ने कह दी ये खरी बात, वजह भी बताई
एनटीपीसी ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मौजूदा दौर में दिल्ली-एनसीआर में हवा की खराब क्वालिटी स्वास्थ्य को लेकर सबसे गंभीर चुनौती है.
कोयला बेस्ड बिजली प्लांट को अक्सर बढ़ते प्रदूषण के लिये जिम्मेदार बताया जाता रहा है, जो हमेशा सही नहीं हो सकता है. (रॉयटर्स)
कोयला बेस्ड बिजली प्लांट को अक्सर बढ़ते प्रदूषण के लिये जिम्मेदार बताया जाता रहा है, जो हमेशा सही नहीं हो सकता है. (रॉयटर्स)
देश की राजधानी दिल्ली और उससे सटे एनसीआर के इलाकों में पॉल्यूशन (Air Pollution) की बेहद खराब स्थिति पर आज सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी (NTPC) ने स्पष्ट तौर पर कहा कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में हवा की खराब क्वालिटी के लिये थर्मल पावर प्लांट जिम्मेदार नहीं हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एनटीपीसी ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मौजूदा दौर में दिल्ली-एनसीआर में हवा की खराब क्वालिटी स्वास्थ्य को लेकर सबसे गंभीर चुनौती है.
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
एनटीपीसी ने कहा कि गाड़ियों के उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों, सड़क की धूल, औद्योगिक उत्सर्जन और आसपास के राज्यों में जलने वाले पराली धुएं के लिए जिम्मेदार हैं. इससे हेल्थ और इम्यून सिस्टम पर गंभीर प्रभाव पड़ने का खतरा है. उसने कहा कि कोयला बेस्ड बिजली प्लांट को अक्सर बढ़ते प्रदूषण के लिये जिम्मेदार बताया जाता रहा है, जो हमेशा सही नहीं हो सकता है. दादरी (एनटीपीसी प्लांट) की कोयला बेस्ड यूनिट अक्टूबर से बंद हैं, लेकिन एनसीआर की एयर क्वालिटी और इसका इंडेक्स (एक्यूआई) दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है.
दादरी कोयला संयंत्र सबसे स्वच्छ
एनटीपीसी ने कहा कि जब इस साल लॉकडाउन के दौरान प्रैक्टिकल तौर पर कोई उत्सर्जन नहीं था, ये प्लांट चालू थे. वास्तव में, जब उत्सर्जन की बात आती है, तो दादरी कोयला संयंत्र न केवल एनटीपीसी बल्कि पूरे देश में सबसे स्वच्छ है. उसने कहा कि एनटीपीसी दादरी पावर स्टेशन की सभी यूनिट उत्सर्जन कंट्रोल करने के लिये एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस हैं.
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दो साल में 8000 टन से ज्यादा पराली की खपत
जरूरी एयर क्वालिटी की हमेशा निगरानी करने के लिए हमेशा उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) और निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) लगाए गए हैं. एनटीपीसी ने कहा कि उसके दादरी संयंत्र ने पिछले दो साल में 8000 टन से ज्यादा पराली की खपत की है, जिससे करीब 4000 एकड़ खेतों में पराली के जलने से रोका जा सका है.
09:59 PM IST